है_ये_अजब_निराला_जी

दिल को लाख संभाला जी

नही माने ये मतवाला जी

अड़ा हुआ दिलवाला जी

समझा समझा के हारे सब

इसके चक्कर में रूठा रब

नही ये मानने वाला जी

वैध भी फैल हक़ीम भी फैल

तंत्र भी फैल मंत्र भी फैल

कहीं ठीक ना होने वाला जी

बाद में कोई कुछ ना कहना

मुझे नही इल्ज़ाम है सहना

गजब है मस्ती वाला जी

गिरगिट सी ख़्वाहिश बदलता

हर रोज़ नए सांचे में ढलता

क़ाबू में ना आने वाला जी

अजीब सी है इसकी अदाएं

कभी ये हंसाए कभी रुलाए

है ये अजब निराला जी

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