गर अब भी ना सम्भला तू

गर अब भी ना सम्भला तू

कभी संभल ना पायेगा

कोरोना तो सिर्फ ट्रेलर है

भविष्य फिल्म दिखाएगा|

अपने अहंकार के आगे

तुझे कुछ नज़र नही आता

इसी अज्ञान के कारण ही

तू दुनिया को मरवाएगा|

अन्धाधुन्ध विकास किया

ना संयम तूने दिखलाया है

अपने इस पागलपन पर

एक दिन बहुत पछताएगा|

हवा पानी पर्यावरण को

तूने बहुत ही रुलाया है

अति हुई तेरे जुल्मो की

मानव तू बच ना पायेगा|

मेरे दामन पर सदियों से

तूने कितने घाव किए है

जब बोया है तूने बबूल

तो आम कहाँ से पाएगा|

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