मातृभूमि के लाल उठो
कस लो अपने बाजूबंद
कोई घुस बैठा सीमा में
तिरंगा हमें पुकार रहा
इतनी हिम्मत इतनी ताकत
दुश्मनो की बढ़ गयी
क्यों सोये हो अपने घरो में
तिरंगा हमें धिक्कार रहा
क्या याद है तुम्हे कारगिल
या फिर कब के भूल गए
उठो नहीं तो खो दो गे सब
तिरंगा ये ललकार रहा
लहू गर्म है मजबूत इरादे
दुश्मन को धूल चटा दे
उठो, उठा लो मुझे हाथ में
तिरंगा ये चीत्कार रहा
मातृभूमि के लाल उठो
कस लो अपने बाजूबंद
कोई घुस बैठा है सीमा में
तिरंगा हमें पुकार रहा