मेरी कविता की प्रेरणा,
उसके आने से हुई,
उसके स्न्निघय ने,
मुझे परिपक्व बना दिया है,
पहले मैं रचता था,
वो बात नहीं थी,
वो कोशिश नहीं थी,
कल्पना का दायरा,
वस्तु स्तिथि का अंदाजा,
परिस्तिथियों से ताल मेल,
लेखन की उज्वलता,
उसके आने से हुई है,
वो ही मेरी प्रेरणा है,
मेरा अस्तित्व,मेरा नाम,
सब इसी की देन है,
मैं अपना सब कुछ,
उसको अर्पण करता हूँ,
वो ही है मेरी भक्ति,
वो ही है मेरी शक्ति……!!!
